Short and Best Essay on sarojini naidu in hindi 700+ words/सरोजिनी नायडू पर निबंध हिन्दी मे



Essay on sarojini naidu in hindi-नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका,hindiwe के एक नए निबद्ध में।यह निबद्ध स्कूल तथा कॉलेज के छात्रों के लिए है।आज का निबद्ध हमने “भारत की एक महान कवियत्री,स्वतंत्रता सेनानी तथा राजनितज्ञ” श्रीमती sarojini naidu जी के बारे में लिखा है।

Essay on sarojini naidu in hindi
 

Essay on sarojini naidu in hindi

व्यतिगत जीवन

जन्म :- सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 में हैदराबाद में रहने वाले एक बंगाली परिवार में हुआ।इनके पिता का नाम डॉक्टर अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और माता वरदा सुंदरी देवी था। इनके पिता पेशे से डॉक्टर तथा साइंटिस्ट थे जो की हैदराबाद के कॉलेज में एडमिन के पद पर कार्रयत थे।इनकी माता वरदा सुंदरी देवी एक लेखिका थी जो बंगाली में कवितायें लिखा करती थी।सरोजिनी नायडू अपने 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।इनके एक भाई क्रांतिकारी थे जिनका नाम वीरेंद्रनाथ था।जिन्होंने बर्लिन कमिटी के बनाने में एक अहम भूमिका निभाई थी।

शिक्षा :- सरोजिनी जी बचपन से ही पढाई में बहुत होशियार थी।इन्हें उर्दू,तेलगु,इंग्लिश,हिंदी तथा बंगाली भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान था।इन्होंने महज 12 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास कर ली थी।इनके पिता चाहते थे कि यह वैज्ञानिक बने लेकिन सरोजिनी जी की रुचि कविता लिखने में थी।इनकी इसी रुचि को देखते हुए हैदराबाद के नवाब ने उन्हें शिष्यवृति देकर इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज में पढ़ने का मौका दिया,इसके बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ग्रेटन कॉलेज में दाखिला लेकर अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी की।सरोजिनी जी ने स्कूल के दिनों से ही कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था।जब वह 12 वर्ष की थी तो उन्होंने पहला काव्यखंड लिखा जिसका नाम था ” द लेडी ऑफ लेक”।

वैवाहिक जीवन :- जब वह कॉलेज में पढ़ा करती थी तो उनकी मुलाकात गोविंदराजुलू नायडु से हुई। 1898 में 19 साल की उम्र में उन्होंने गोविंदराजुलू नायडू से अन्तर्जातीय विवाह कर लिया,उस समय अन्य जाति में विवाह करना किसी गुनाह से कम नही था।इसी कारण उन्हें इसका काफी विरोध सहना पड़ा था लेकिन सरोजिनी जी के पिता ने उनके इस फैसले का समर्थन किया।इस विवाह से उनके 4 बच्चे हुए।जिसमें से उनकी बेटी पद्मजा नायडू भी उनकी तरह एक कवियत्री बनी और राजनीति में उतरी तथा 1961में पश्चिम बंगाल की गवर्नर बनी।

 स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

1914 में वह इंग्लैंड पहली बार गाँधीजी से मिलीं। गांधीजी के विचारों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वह भी स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ गई।उन्होंने एक अच्छे लीडर की कई राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं।इन संकटों के बावजूद वह घबराई नही तथा एक वीरांगना की तरह गाँव-गाँव में घूमकर देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं।


सरोजिनी जी ने कविताए लिखकर देशवासियों को प्रोत्साहित किया तथा उनके अंदर देश के प्रति कुछ कर-गुजरने का आत्मविश्वास जगाया।

 राजनीतिक जीवन

अपनी कविताओं तथा स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने के कारण उनकी लोकप्रियता बहुत थी।इसी कारण 1925 में कानपुर में कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्ष बनी और 1932 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद उन्हें उतर प्रदेश की राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।वह स्वतंत्र भारत की पहेली महिला राज्यपाल थी।

 सरोजिनी नायडू के नारे

स्वन्त्रता आंदोलन के समय उन्होंने कई कविताएं तथा नारे लिखे।जो कि उस समय बहुत लोकप्रिय हुए।

1. यदि आप मजबूत हैं, तो आपको कमजोर लड़के या लड़की को खेलने और काम में दोनों में इनकी मदद करनी होगी।

2. ओह, हम अपनी बीमारी से भारत को साफ करने से पहले पुरुषों की एक नई नस्ल चाहते हैं।

3. एक देश की महानता,बलिदान और प्रेम उस देश के आदर्शों पर निहित करता है।

Essay on sarojini naidu in hindi

 सरोजिनी नायडू की प्रसिद्ध कविता

1.The gift of india
2.Ecstacy
3.A Love Song from the North
4.A rajput love song
5.The port’s love song
6. Coromandel Fishers
7.Palanquin Bearers
8.Transience
9.In Salutation to the Eternal Peace

उनकी कविताओं तथा लेखन के लिए उन्हें “नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया” मतलब “भारत की बुलबुल” की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

 मृत्यु

सरोजिनी जी ने स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल के रूप में मेहनत, ईमानदारी व निष्ठा से काम किया।कुछ वर्ष काम करने के बाद,वह किसी बीमारी से ग्रसित हो गयी तथा 2 मार्च 1949 को इलाहाबाद में दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो।गया।

 उपसंहार

भारत की बुलबुल श्रीमती सरोजिनी नायडू एक महान व्यक्तित्व वाली महिला थी।जिन्होंने हमेशा से महिला सशक्तिकरण,महिला मुक्ति और महिला शिक्षा पर जोर दिया।इसी कारण उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाया जाता है।सरोजिनी जी ने  अपने लेखन तथा कविताओं से सब देशवासियों के दिल मे देशप्रेम को जगाया है।वह सब देशवासियों के दिल मे हमेशा जीवित रहेंगी।


FAQ -Essay on Sarojini naidu in hindi

सरोजिनी ने उच्च शिक्षा कहाँ प्राप्त की?

सरोजिनी जी ने 12 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास कर ली थी।इनके पिता चाहते थे कि यह वैज्ञानिक बने लेकिन सरोजिनी जी की रुचि कविता लिखने में थी।इनकी इसी रुचि को देखते हुए हैदराबाद के नवाब ने उन्हें शिष्यवृति देकर इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज में पढ़ने का मौका दिया,इसके बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ग्रेटन कॉलेज में दाखिला लेकर अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी की

सरोजिनी नायडू की शादी कब हुई?

जब सरोजिनी जी कॉलेज में पढ़ा करती थी तो उनकी मुलाकात गोविंदराजुलू नायडु से हुई। 1898 में 19 साल की उम्र में उन्होंने गोविंदराजुलू नायडू से अन्तर्जातीय विवाह कर लिया,उस समय अन्य जाति में विवाह करना किसी गुनाह से कम नही था।

सरोजिनी नायडू का जन्म कहाँ हुआ था?

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 में हैदराबाद में रहने वाले एक बंगाली परिवार में हुआ

भारत कोकिला का उपनाम क्या है?

भारत कोकिला का उपनाम सरोजिनी नायडू है

 

                                 धन्यवाद

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Ravinder Bisht

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